Sunday 22 March 2015

किसानों के वर्तमान हालात पर मेरी चंद पंक्तिया

किसान की आँखों में आँसुओ का सेलाब देखा
आसमान से गिरता तबाही का सामान देखा
चन्द मतलबी सोये थे अपने ख्वाबों के जहाँ में
और उसकी रातों की नींद को पल में उड़ते देखा
खुशियों के ख्वाब भी उसने संजोये थे दिल में
चन्द लम्हों में उन्ही ख्वाबों को बिखरते देखा
अपने अरमानो के दीप जलाये थे दिल में
तेज हवाओं में उन्ही दीपों को बुझते देखा
मेहनत से खड़ा किया था सपनो का महल
उसकी मेहनत का आशियाँ उजड़ते देखा
सब करते है अपने हर्जाने की मांग
केवल उसी को नुकसान सहन करते देखा
आँसू छलक आये मेरी इन कठोर आँखों में भी
जब बाजार में उसकी मेहनत को लूटते देखा
उमीद थी राजा ध्यान रखेगा इसके अरमानो का
कमबख्त उसके खजाने को भी कंगाल होते देखा