Thursday 30 April 2015

O!Stars Don't Shine upon My Condition

O! stars don't shine upon my condition
As you don't have such passion
That I felt when I believed her
And did all what she wanted,without error

You can shine only at night
But my love shine at all time
You are in the fear of Sun
But I bear it and can't run

Your ways can be stopped by cloud
But I am free from this bound
I have love in the deepest of my heart
But you don't have such lovely art

Your twinkling is your pretence
To make all fool in your presence
Then O!Stars,why you feel so pride
You don't have nothing to ride

Tuesday 28 April 2015

Tears are the voice of the heart

Tears are the voice of the heart
They come when lips stop their art
show their pain when the heart is broken
They feel grief when the faith is stolen

When passions are attacked badly
Then they try to stop that gently
When someone is wounded for years
Then eyes are filled with grieved tears

Eyes always give advice to them
Not to flow for faithless in vain
Because they are of great significance
They keep away the lovers from loneliness

Only a love-sick can judge better the tears
As he has been betrayed for many years
This shows how much love he had
This shows how much he feels bad

Monday 27 April 2015

कितना शकुन मिलता है

कितना शकुन मिलता है साकी तेरे महखाने में
दिल बयाँ करता है दर्द ए मुहोब्बत इस जमाने में
पिला दे मुहोब्बत का जाम दिल भर के
फिर देख मेरी दर्द ए मुहोब्बत पैमाने में
जाम ए इश्क का भर-भर के दे मुझको
दर्द ए दिल अभी खाली है भर जाने में
अभी किस्सा लम्बा है साकी
वक्त लगेगा इसे बयाँ करने में
रात बाकी है अभी बात बाकी है
बाकी है अभी कशक ए मुहोब्बत अफ़साने में
रंग ए मुहोब्बत बदलते देखा ए साकी
भूल कर बैठे थे बेपन्हा मुहोब्बत करने में
नही मालूम था अंजाम ऐसा होगा
वरना कदम नही रखते इस दगा खाने में
ए खुदा करदे फैसला आज जिंदगी का
बहुत सितम सह लिया तेरे इस सितमखाने में

जुदा ना होना

जुदा ना होना ऐसे,जैसे वर्षा होती बादल से
मिलते रहना ऐसे,जैसे नदियाँ मिलती सागर से
तू है मेरे दिल का आईना जिसमे प्यार झलक जाए
जब देखे दिल की आँखे,बस एक तू ही नजर आए
तू मिलना ऐसे,जैसे मिलती है आँखे काजल से
जुदा ना होना ऐसे,जैसे वर्षा होती बादल से
बदन तेरा फूलों सा कोमल,चेहरा चमकता चाँद है
यौवन तेरा सावन की बहार,तू मुहोब्बत का ताज है
तू मिलना ऐसे,जैसे मिलती है बहारें सावन से
जुदा ना होना ऐसे,जैसे वर्षा होती बादल से
हंसती हो ऐसे,जैसे फूलों की कलियाँ खिल जाए
शर्माती हो ऐसे,जैसे बुलबुल कोई मुस्काए
तू मिलना ऐसे,जैसे मिलता है पानी गागर से
जुदा ना होना ऐसे,जैसे वर्षा होती बादल से
मिलते रहना ऐसे,जैसे नदियाँ मिलती सागर से

कदम से कदम मिला कर चल

कदम से कदम मिला कर चल
मंजिल मिल ही जाएगी
रस्ते पर कदम बढ़ा कर तो चल
राहों की बड़ी अजीब अदाएं है
हालात की बड़ी अलग घटाएं है
चारों ओर विपदा के बादल छाएँ है
ऐसे में भी ख़ुशी के गीत गा कर चल
कदम से कदम मिला कर चल
ना देख रास्ता कितना लम्बा है
ना सोच,ये संसार का अचम्भा है
ना डर कि अँधेरा इतना घना है
अँधेरे में भी आशा के दीप जला कर चल
कदम से कदम मिला कर चल
कर्म कर,अपने रस्ते से भटक मत
लोभ-लालच,मोह-माया से लटक मत
दूसरों की अमानत को यूँ गटक मत
अपना जीवन परहित पर वार कर चल
कदम से कदम मिला कर चल
मंजिल मिल ही जाएगी
रस्ते पर कदम बढ़ा कर तो च

Sunday 26 April 2015

मेरा देश

मेरा देश मेरी पहचान है
इस पहचान को और निखरने दे
मेरा देश मेरी इबादत है
इस इबादत को और संवरने दे
पहाड़ है मुकुट इसका,नदियां बाहें है
समुन्दर है जिगर इसका,आसमां राहे है
मेरा देश मेरी जरूरत है
इस जरूरत को और तरसने दे
मेरा देश मेरी पहचान है
इस पहचान को और निखरने दे
चाँद है दीपक रात का,
सूरज दिन का उज्जला है
तारे है चमक इसकी,
हिमालय इसका रखवाला है
मेरा देश मेरी शान है
इसमें चार चाँद लगने दे
मेरा देश मेरी पहचान है
इस पहचान को और निखरने दे
त्याग-भावना इसकी रग-रग में
शौर्य इसकी भाषा है
बलिदान की गाथा पग-पग पर
दृढ-निश्चय इसकी अभिलाषा है
इस अभिलाषा को और सुलगने दे
मेरा देश मेरी पहचान है
इस पहचान को और निखरने दे
कण-कण में है मेहनत इसकी
रोम-रोम में करुणा है
जन-जन में है प्यार बसा
सदभावना की ये अरुणा है
इस अरुणा को और दहकने दे
मेरा देश मेरी पहचान है
इस पहचान को और निखरने दे
मेरा देश मेरी इबादत है
इस इबादत को और संवरने दे।

Saturday 25 April 2015

जमाना याद रखे

देदे कोई नाम कि जमाना याद रखे
जब हों रुखसत इस जहाँ से
तो हमारा दोस्ताना याद रखे
करदे इतना उज्जाला कि
चाँद भी अचम्भा करे
बिछादे शब्दों का जाल कि
विद्वान् भी हमें समझा करे
फैला दे ऐसी खुशबु चारों और
कि फूल भी हमें याद रखें
देदे कोई नाम कि जमाना याद रखे
करदे कोई ऐसा करिश्मा कि
हम भी किसी का सहारा बने
अपना ले ऐसा रस्ता कि
हमारा काम किसी का निवाला बने
निभादे सारे वादे कुछ इस तरह कि
खुदा भी हमे और न परखे
देदे कोई नाम कि जमाना याद रखे
कुछ ऐसा कर 'जय'कि काबिल हों
बोझ उठाने के लिए समाज का
ना हों अज्ञान हम कभी
ज्ञान हो हमे हर राज का
बनादे कुछ ऐसा इतिहास 'जय'कि
ये जहाँ भी हमे याद रखे
देदे कोई नाम कि जमाना याद रखे
जब हो रुखसत इस जहाँ से
तो हमारा दोस्ताना याद रखे

इम्तिहान

इंसान न जाने कहाँ चले गए
केवल शमशान बाकी है
मुर्दे ही आपस में लड़ रहे है
इंसानो के बस नाम बाकी है
अभी मुझ पर ईश्वर का कर्ज
और एहसान बाकी है
बस ये जहाँ बाकी है
और मेरे इम्तिहान बाकी है
बार-बार किनारे पहुंच जाता हूँ
फिर भी मझधार में धकेल दिया जाता हूँ
मंजिल नही मिलने पर कभी परेशान तो
कभी घबरा भी जाता हूँ
नाव तो है मेरे पास
पर पतवार अभी बाकी है
चला तो हूँ धारा में
पर न जाने कौन सा तूफान बाकी है
लेकिन करूँगा सामना
जब तक जान बाकी है
बस ये जहाँ बाकी है
और मेरे इम्तिहान बाकी है
बिटिया की आँखों में
मेरे अधूरे ख्वाब देख सकता हूँ
बापू-माँ की आँखों में मेरे लिए
अहसास देख सकता हूँ
बेटे के सपनो का आसमान बाकी है
बिटिया के अरमान बाकी है
हे मेरे ईश्वर,मेरे लिए तेरा
कौन सा ऐलान बाकी है
बस ये जहाँ बाकी है
और कितने इम्तिहान बाकी है।

Wednesday 15 April 2015

अच्छे दिन

सुना था कभी,अच्छे दिन आने वाले है
पुराने घावों पर मरहम लगाने वाले है
खोदा पहाड़ निकली चुहिया
क्या इस कहावत को चरितार्थ करने वाले है?
सुना था कभी,अच्छे दिन आने वाले है।
एक उमीद लगा बैठे थे
हर और खुशहाली होगी
ऐसा विशवास लगा बैठे थे
न होगा कोई भूख प्यासा
ऐसा अरमान लगा बैठे थे
उन्ही अरमानों के पंख काटने वाले है
सुना था कभी, अच्छे दिन आने वाले है
रोज मरते है किसान-मजदूर यहाँ
अपनी रोटियाँ सकते है नेता यहाँ
कैसे भी हो बस अपना फायदा हो
मातम में भी रोज लड़ते है चन्द लोग यहाँ
क्या यहीं लोग आदर्श कहलाने वाले है
सुना था कभी,अच्छे दिन आने वाले है

Sunday 12 April 2015

माँ के आँसू

माँ के आँसुओ की कीमत कौन चुकाएगा
बहन के हाथ में रक्षा का धागा कौन पहनाएग
दुःख की बहती इस नदिया में अब
उस बाप को कौन ये दुःख का हल बताएगा
भाई के सपने मिट्टी में मिल गए
साथी-मित्र सब रुखसत हो गए
पलभर में सूरत बदल गई जहाँ की
पलभर में कुनबे उजड गए
कितना आसान है तबाह करना
कितना आसान है मरना और मारना
पर क्यों मुश्किल लगता है
इस जमीं पर बसना और बसाना
कब तक सीखेगें हम मानवता को
कब तक समझेंगे हम हालात को
क्यों करते है इतना खून-खराबा
कब तक जानेंगे खुदा की इस कायनात को

आतंक का साया

ए जालिम कितनें मासुमो को तुमने हलाल कर दिया
पाक जमीं को तूमने उनके खून से लाल कर दिया
जरा भी नही सोचा देख कर उनके फूल से चहरो को
उठाई बन्दूक और फिर चारों ओर कत्लेआम कर दिया
रूह ने तुझको भी रोकना चाहा होगा ज़ुल्म करने को
कितना नापाक था तू उसको भी दरकिनार कर दिया
दरोदीवारें भी रो पड़ी होंगी देख कर वो नापाक मंजर
रोया नही तेरा दिल और तूने कितनो को खत्म कर दिया
ए खुदा कब तक देखेगा खेल दहशतगर्दी का इस जहाँ मेँ
'सागर' इन जलिमो ने सारी मानवता को शर्मसार कर दिया

बदलते हालात

गरीबी को अमीरी से पिटते देखा मैने
पानी को आग पर धुंवा होते देखा मैने
कितना फर्क आ गया है अब और तब मे
वक्त को तक़दीर के आगे रोते देखा मैने
चलता था सिक्का किसी के नाम का कभी
उसी सिक्के को पैरों के निचे कुचलते देखा मैने
कश्तियां बह जाती है तूफ़ानों में बनके कागज़
लेकिन उसी तूफ़ान को बेबस गुजरते देखा मैने
कितना खुश होगा वो बनाके इस जहां को
दुःख तो तब हुआ जब खुनी खेल देखा उसने
क्या फक्र करें क्या अभिमान करें इस जिन्दगी का
जिन्दगी को भी पलभर में बदलते देखा मैने

मेरी एक और रचना

जिंदगी ने सवालात बदल डाले
वक्त ने हालात बदल डाले
हम तो वहीँ थे वो ही है
पर अपनों ने ख्यालात बदल डाले
बनके हमसफ़र चले थे राहे वफ़ा
पर लोगों ने वफ़ा के सुर बदल डाले
जो कहते थे रस्ते में उजाला करने का
आज उन्होंने ही चिराग बुझा डाले