Saturday 25 April 2015

जमाना याद रखे

देदे कोई नाम कि जमाना याद रखे
जब हों रुखसत इस जहाँ से
तो हमारा दोस्ताना याद रखे
करदे इतना उज्जाला कि
चाँद भी अचम्भा करे
बिछादे शब्दों का जाल कि
विद्वान् भी हमें समझा करे
फैला दे ऐसी खुशबु चारों और
कि फूल भी हमें याद रखें
देदे कोई नाम कि जमाना याद रखे
करदे कोई ऐसा करिश्मा कि
हम भी किसी का सहारा बने
अपना ले ऐसा रस्ता कि
हमारा काम किसी का निवाला बने
निभादे सारे वादे कुछ इस तरह कि
खुदा भी हमे और न परखे
देदे कोई नाम कि जमाना याद रखे
कुछ ऐसा कर 'जय'कि काबिल हों
बोझ उठाने के लिए समाज का
ना हों अज्ञान हम कभी
ज्ञान हो हमे हर राज का
बनादे कुछ ऐसा इतिहास 'जय'कि
ये जहाँ भी हमे याद रखे
देदे कोई नाम कि जमाना याद रखे
जब हो रुखसत इस जहाँ से
तो हमारा दोस्ताना याद रखे

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