Wednesday 3 June 2015

अबके बरस सावन कुछ बदला-बदला होगा

अबके बरस सावन कुछ बदला-बदला होगा
धूप होगी पिली,आसमां खोया-खोया होगा

जवां-जवां दिन होंगे,पुरवा होगी सुहानी
गरजेंगे बदरा,दिखेगी काली घटा की जवानी
ऊँची-ऊँची लहरे होंगी,नदियां होंगी भरी
कल-कल करते झरने होंगे,ख़ुशी की होगी परी
चलेंगी पवन तो भीगा-भीगा ये समा होगा
अबके बरस सावन कुछ बदला-बदला होगा

रिमझिम-रिमझिम घनघोर घटाएं बरसेंगी
प्यासी धरती और लताएँ अब नही तरसेंगी
हरी-भरी बगिया होगी,कोयल की कुं कुं
तोता-मैना का कलरव होगा,फूलों की खुशबु
फिर बहारों में गुलोबुलबुल का मिलन होगा
अबके बरस सावन कुछ बदला-बदला होगा

सूखे-सूखे पेड़ो पर फिर से जवानी आएगी
रूखे-रूखे अधरों पर जवां मुस्कान छा जाएगी
गीतों-गजलों की महफ़िल सजने लगेंगी हर ओर
नई उमंगो और अरमानों से भरी होंगी हर भोर
फिर खिला-खिला,जवां-जवां हर चेहरा होगा
अबके बरस सावन कुछ बदला-बदला होगा

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