अब तो मन भर गया होगा तेरा
नही तो फिर और लगा दे मौत का डेरा
तब तक नही रुकना ए जालिम
जब तक भर ना जाए दिल तेरा
हिम्मत तो देख इस मासूम की
सांसे जरा भी नही अटकी
जा समाया लहरो में ऐसे
जैसे बून्द कोई हो वर्षा की
उसे सागर ने अपने सीने से लगा लिया
उसका सारा दर्द अपनी आगोस में ले लिया
खेला था समुन्द्र का बेटा बन कर,और
लहरों ने उसे किनारे पहुंचा दिया
वो तो सोया है अब सागर की गोद में
सोच!अब तेरा क्या होगा इस योग में
वो तो भव सागर पार हो गया
तुझे तिल-तिल करके मरना होगा इस लोक में
ए जालिम तूने ऐसा गुनाह किया है
जिसमें कोई ख़ुशी से नही जिया है
ना रातों में नींद,ना दिन में तुझे आराम मिलेगा
अनगिनत मासूमों का खून जो तूने पिया है
कर ले पूरी,गर रह गई हो कोई कमी
फिर मोका भी नही मिलेगा तुझे,ओ बेरहमी
तेरे गुनाहों की सजा कभी माफ़ नही होगी
ना आसमां नसीब होगा ना होगी ये जमीं
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