मन्दिर में न चढ़ा तो बस पत्थर ही कहलाएगा
है तकदीर तेरे साथ तो खुदा भी बन जाएगा
पड़ा रहेगा यूँ रास्ते का रोड़ा बनकर हर कहीँ
गर नसीब में लिखा तो ताजमहल में सज जाएगा
कहीं धूल से ढका होगा तेरा आशियाँ इस जहाँ में
इत्तफ़ाक़ कहीं तुझपे कोई मखमली चादर भी चढ़ाएगा
कीचड़ में सना होगा तू हर तरफ से ए-दोस्त
और कही तुझे इस जमी पर कोई दूध से नहलाएगा
पत्थर ही पत्थर हर जगह फैले पड़े है यहां पर
बस तराशते ही तू एक सुंदर सी मूरत बन जाएगा