Saturday 20 February 2016

चिंगारी

चिंगारी किसी ने फेंकी और घर किसी का जला
सिंहासन का ये खेल शदियों से कुछ ऐसे ही पला

चैन से वो भी नही बैठ सका अपने आशियाने में
आग की लपटों में उसका घर भी स्वहा हो चला

घर की आग में भी अपनी रोटियां सेक लेते है यहां
कुछ लोग चाहते है कि यूँ ही चले ये सिलसिला

कुछ के लिए तो ये है बस एक खेल छोटा सा
जब तक चाहा उन्होंने तब तक जी भरकर खेला

कौन जीता और कौन हारा  बता दे कोई जरा
क्या किसी ने रखा है मान जीत का जो मिला

बड़े-बड़े बाजीगर है यहां बच के रहना जरा
बाजी कुछ ऐसी चलना जिसमे सबका हो भला

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