Sunday 15 May 2016

मुड़ के तू देख ले जरा

मुड़ के तू देख ले जरा
मै हूँ वहीं पर खड़ा
जहां पर तू ने मुझको था छोड़ा

कदमों में तेरे मैने खुद को बिछाया था
गमों को तेरे मैने दिल में छुपाया था
रोने का लम्हा भी हंस के बिताया था
तेरे बिन आज मुझको रोना है पड़ा
मुड़ के तू देख ले जरा

देखे जो  सपनें मैने, वो टुट ही गए
राहे-ए-वफ़ा वो पीछे छूट ही गए
है अब खाली हम, बस लूट ही गए
लगता है अब,सब बिखर सा गया
मुड़ के तू देख ले जरा

इन्तजार है मुझको,अब भी तेरा
नजर आए मुझको,तेरा ही चेहरा
साथ अब छोड़ा है,हालात ने मेरा
कैसे बताऊँ तुझे,मै किस-किस से हूँ लड़ा
मुड़ के तू देख ले जरा

Friday 13 May 2016

जहर

जब जहर भी कुछ ना कर पाए
तो फिर और क्या पिया जाए

तूने इतना दर्द जो दिया है मुझे
जिस पर कोई दवा काम ना आए

एक आंसू भी नही छोड़ा तूने
बता अब ये आँखे कैसे  रो पाए

कैसे पूरा करूँ उन हसीन सपनो को
जो कभी मैने थे रातों में सजाए

मंजिल अब लगे है धुआं-धुआं
और कदम भी मेरे लड़खड़ाए

गहरे जख्मो के साथ भी जी ले
पर इस बेवफाई से कैसे जिया जाए